Wednesday 21 October 2015

दोस्तों, बात पुरानी है...
किन्तु इतनी भी पुरानी नहीं है की उसे ऐतिहासिक कहा जाये....

ब्रिटिश शासन जब चल रहा था तब गुजरात के पानेली गांव मे एक घटना घटी. पूंजा वालजी नाम का एक लोहाणा जाती के वणिक ने मछली बेचने का  व्यापार किया उसका सामाजिक बहिष्कार हुआ. प्रतिकार के रूप में उसने खोजापंथी शियाई धर्म का स्वीकार किया और मुसलमान बना. उसके तिन बेटे हुए. नथू, गांगजी, और झीणा...

झीणा अपने परिवार के साथ करांची जा पंहुचा उसकी सात संताने हुई. उसमे से एक बेटे का नाम महंमद अली था...

दोस्तों, क्या आप सोच सकते है की हिंदू से मुसलमान बने उसी पूंजा वालजी के पोते ने भारत का एक हिस्सा हंमेशा के लिए हिन्दुओ से छीन लिया. जिसे हम आज कट्टरपंथी पाकिस्तान के नाम से जानते है. और वोही झीणा के बेटे को आज पाकिस्तान का राष्र् पिता माना जाता है जिसे वहां के मुसलमान कायदे आज़म झीणा के नाम से जानते है...

अब सोचिए की 19मी सदि में हिंदूओ से लबालब भरा अखंड भारत एक किसी व्यक्ति के विधर्मी हो जाने से कितना भयानक नतीजा पैदा कर सकता है...
यही संकोचन 1876 से चला आ रहा है. आज जिसे लोग तालिबानी आतंकवाद के नाम पर जानते है वो अफ़घानिस्तान हिंदुओ से भरा था वहां पर बामनिया नाम के नगर में भारी तादाद में ब्राह्मणों की आबादी होने से उससे बामनिया नाम आरबो की और से दे दिया गया जो आज भी बामनिया नाम से जाना जाता है. किन्तु अफसोस... की हिंदू और शिख मिलकर महज आठ हजार हिंदू वहा बचे है. उनमे से भी अधिकतम अफ़घानिस्तान को अलविदा करने  की तयारी में है...
जिसे हम सोनार बांग्ला  कहते थे परसों ही दुर्गा की मूर्ति के मंडप को तहस नहस किया गया क्योंकि वो अब सोनार बांग्ला न रहते हुए कट्टर इस्लामिक बांग्लादेश बन गया है...

मणिपुरी ब्राह्मणों से और त्रिपुरा छात्रों से कभी प्रभावित होकर जिस प्रदेश ने अपने आपको ब्रह्मदेश के नाम से जाना था वो अंग्रेजो के शासन आते आते बर्मा बन गया. आज वो माओवादी विचारधारा का म्यानमार कहलाता है...
दोस्तों, ब्रिटिश शासक भारत से जब गए तब तिब्बत भारत को रखवाली के तौर पे दे गए थे. नेहरू के शासन में वहा हमारी छे बड़ी लश्करी चौकिया 1958 तक तिरंगा फहराती थी, हमारी ही संकोचन वृत्ति के कारण चीन ने आक्रमण किया, तिब्बत तो गया ही गया किन्तु गढ़वाल का आधा हिस्सा और काश्मीर से सटा हुआ अक्षय चीन भी हम गंवा बैठे...

दोस्तों, वर्मन और कंबोज ब्राह्मणों के सेनापतिओ से हिंदमहासागर में अपना लोहा मनवाने वाले सेनापतिओ ने इंडोनेशिया, कम्बोडिया, थाईलेंड तक अपना साम्राज्य विस्तारित किया था किन्तु उसका उदगम स्थान श्रीलंका भी आज हमारे पास नहीं है. 

जिस पर हम गौरव करते थे की भले हम लोकतांत्रिक हो गये है किन्तु आज  एक हिंदू राष्ट्र हिमालय की पहाडीओ में सिना ताने खड़ा है, वो हमारे ही सामने एक महीने पेहले हिंदुराष्ट्र में से लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष बन गया और साथ साथ भारत का एक शत्रु भी बन गया...

इतिहास से लेकर वर्तमान तक कभी सोचा है हिंदुओ का कितना संकोचन हुआ है....?

में कह सकता हु इसे शायद महासंकोचन कहना ही ठीक रहेगा, क्योंकि हिंदू Home Alone है. (अपने ही घर में अकेला)

आज भी संकोचन की प्रक्रिया उतनी ही तीव्र गति से अपना प्रभाव दिखा रही है, कश्मीर हमसे अलग होने को आकाश-पातल कर रहा है....

माओवादी विचारधारा ने झारखंड, छत्तीसगढ़, पस्चिम बंगाल, आसाम और आंध्र प्रदेश तक दस्तक दी है और हम कथित धर्म के तौर पर जिये जा रहे है...

दोस्तों, " वीर भोग्या वसुंधरा " की उक्ति हमें चीख चीख कर कह रही है शक्ति की उपासना हो... संकोचन तभी विस्तारण का रूप धारण करेगा, शक्ति ही सर्वोपरि है, वो चाहे शस्त्रों की शक्ति हो या फिर संगठन की......

शक्ति की भक्ति करे भारत....

आप सबका निलेश राजगोर

दिनांक : 21/10/2015             


Monday 19 October 2015


" शक्ति की भक्ति करे भारत "

शक्ति शस्त्रो की संख्या से नहीं, क्षमता से बढती है...

મિત્રો, આજે શક્તિ આરધના પર્વ નવરાત્રી નો સાતમો દિવસ છે ત્યારે આપણે ભારતભારતના શસ્ત્રો વિશે થોડું ચિંતન કરીયે...

કોઈપણ દેશની શક્તિ નો આધાર તેના શસ્ત્રો ઉપર હોય છે. અને તે શસ્ત્રો સંખ્યામાં કેટલા છે તે મહત્વનું  નથી પરંતુ તે કેટલી ક્ષમતા વાળા છે અને સમયની સાથે તેનું આધુનિકીકરણ થયું છે કે નહિ તે અતિ મહત્વનું છે.

જો આપણે ભારતીય શસ્ત્રો વિશે ની વાત કરીયે તો આપણા મોટા ભાગ ના શસ્ત્રો ખુબજ જુના અને રીપેરેબલ છે અને તે પણ રશિયા તથા અમેરિકા પાસે થી ખરીદેલા છે.

રશિયા તથા અમેરિકાએ પણ પોતાના જુના શસ્ત્રો આપણ ને નવા કલેવર માં પકડાવ્યા છે.

આઝાદી થી અત્યાર સુધી D.R.D.O. જેની જવાબદારી શસ્ત્રો બનાવવાની છે તે " અર્જુન ટેંક " થી આગળ વધી શક્યું નથી અને તે પણ અનેક સુધારા વધારા કરી હમણાં સફળ થયું છે.

ભારતની પ્રજાના ટેક્ષનો પૈસો સુરક્ષા માટે યોગ્ય જગ્યાએ અને સાચો વપરાય તે ખુબજ જરૂરી છે.

ઉછીના પૈસા લઇ ને જીવતું પાકિસ્તાન પણ શસ્ત્રો ની ક્ષમતા અને આધુનિકીકરણમાં આપણા કરતા આગળ છે.

જયારે આપણે શસ્ત્રોની સંખ્યા ઘણી વધારી છે પરંતુ મોટા ભાગનાં શસ્ત્રો જુના અને રીપેરેબલ છે.

આઈ.એન.એસ. સિંધુ રક્ષક ભારતીય નૌસેના નું જહાજ જે ખુબજ શક્તિશાળી હતું તે પણ 2010 માં કરોડો ખર્ચી ને અમેરિકાની મદદ થી જીર્ણોધ્ધાર ની સમજુતી થઇ હતી તે પણ 14 ઓગષ્ટ 2013 મુંબઈ માં ડૂબી ગયું.

હા આપણા માટે ગૌરવ લેવા જેવું અને ખુબજ શક્તિશાળી એવું " વિક્રમાદિત્ય " યુદ્ધ જહાજ છે જે બધી રીતે સજ્જ છે.

ભારત સ્વદેશી ના જ  મોહમાં હજુ સુધી તદ્દન અદ્યતન પ્રકાર ના શસ્ત્રો બનાવવામાં સફળ રહ્યું નથી ત્યારે યુદ્ધ ને સ્વદેશી થી જ લડવું તેવો હઠાગ્રહ જરૂરી નથી પરંતુ દેશની સુરક્ષા અને સાર્વભૌમત્વ માટે અત્યંત આધુનિકીકરણ સાથે શસ્ત્રો ની ક્ષમતા વધારવી તે ખુબજ જરૂરી છે.

બીજી બાજુ ઈઝરાઈલ અને દક્ષિણ કોરિયા મોટે ભાગે  દરરોજ યુદ્ધ લડે છે અને રોજેરોજ નવા નવા શસ્ત્રો શોધે છે, વિકસાવે છે અને જરૂર પડે બીજા દેશો પાસે થી અત્યંત આધુનિક ટેકનોલોજીની ક્ષમતા થી સજ્જ શસ્ત્રો વિકસાવે છે.

ભારતે પણ શસ્ત્રોની સંખ્યા વધારવા કરતા તેની ક્ષમતા વધારવી જોઈએ કારણ કે મોટા ભાગ ની સબમરીન, યુદ્ધ વિમાનો, ટેંકો વગેરે ખુબજ જુના છે.
મિત્રો, કોઈપણ દેશ માટે પોતાના સાર્વભૌમત્વ નું રક્ષણ તે ખુબજ જરૂરી છે અને તે શસ્ત્રો ની સંખ્યા કરતા તેની ક્ષમતા ઉપર આધાર રાખતું હોય છે.

1962 માં ચીન સામે ભૂંડી રીતે હારી અને અનેક ગણો ભૂમિપ્રદેશ તથા સૈનિકો ના જીવ ખોયા તે શસ્ત્રો ની ક્ષમતા ના અભાવ નું ભારત માટે અનુભવીય ઉદાહરણ છે.

ટૂંકમાં આપણે શસ્ત્રો ની સંખ્યાની સાથે સાથે તેની ક્ષમતા અને અદ્યતન ટેકનોલોજી ઉપર ભાર મુકવો જોઈએ....

શક્તિ ની સાચી ભક્તિ કરે ભારત...

આપ સૌનો નીલેશ રાજગોર

19/10/2015

Sunday 18 October 2015

" शक्ति की भक्ति करे भारत "

आखिर कब तक लाखों दामिनिया / बेटिया बलात्कार का शिकार होती रहेगी ...?

स्त्री सन्मान और नवरात्री की दैवी पूजा करने वाले भारत में ऐसा क्यूं...?

दोस्तों, आज शक्ति आराधना पर्व नवरात्री का छठा दिन है और जिस देश में नारी की पूजा की जाती है...

" यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता "

( जहाँ नारी की पूजा होती है वहा देवताओ का निवास होता है )

ऐसे इस देश मे हर दिन बलात्कार की घटनाए होना भारतीय संस्कृति के सभ्य लोगो को सोचने पे मजबूर कर देती है...

आओ आज हम हमारे समाज, संस्कृति एवम सोच का स्वावलोकन करते है.
दोस्तों, अपने देश मे हर 30 मिनिट पे बलात्कार, हर दिन 93 स्त्री बलात्कार का शिकार होती है और देश की राजधानी दिल्ली में हर 18 घंटे में एक बलात्कार ये कौनसे सभ्य समाज की निशानी है...?

टीवी देखो या अखबार हर दिन बलात्कार, गैंगरेप जैसी घटनाए हेडलाइन बनती है.
हद तो तब होती है जब कुछ दिन पहले पश्चिमी दिल्ली के नागलोई इलाके में रामलीला देखने गई ढाई साल की बच्ची को अगवा कर उस के साथ सामूहिक बलात्कार होता है...

यहा प्रश्न होता है की जिस देश मे नारी को शक्ति रूपिणी, मूल प्रकृति  और जीवो की जननी, माँ बहन या पत्नी सभी रूपों मे शक्ति का पुंज माना है उस देश मे नारी के बाल स्वरूप को भी बक्सा नहीं जाता...?

दोस्तों, पूरा देश शक्ति आराधना का पवित्र पर्व मना रहा है तब मेरी आपसे बिनती है की भारतीय संस्कृति के उच्च मूल्यों को पुनः जीवित किया जाये और नारी शक्ति को सच्चा सन्मान दिया जाए...

क्योंकि नारी के बिना पुरुष की बाल्यावस्था असहाय है, युवावस्था सुखरहित है और वृद्धावस्था सांत्वना देने वाले सच्चे और वफादार साथी से रहित है ऐसी मातृ तुल्य नारी की सच्ची पूजा हमें सन्मान देके करनी चाहिये.

 सिर्फ " मातृदेवो भव : " कह कर और नवरात्री में शक्ति पूजा के नाम पे नाच कर हम लोगो की जिम्मेवारी पूरी नहीं हो जाती...

आओ हम सब हरदिन बनती ऐसी घिनोनी बलात्कार की घटनाए रोकने के लिए अपना और पुरे समाज का स्वावलोकन करे और शक्ति की सच्ची भक्ति करे और एक सुरक्षीत सभ्य समाज का निर्माण करे...

शक्ति की भक्ति करे भारत...

आप सब का निलेश राजगोर

दिनांक : 18/10/2015

Saturday 17 October 2015


" शक्ति की भक्ति करे भारत "

क्या भारतीय साहित्यकारों की कलम शक्ति क्षीण हुई हें...?

दोस्तों, आज शक्ति आरधना पर्व नवरात्री का पांचवा दिन है और आओ आज हम भारतीय साहित्यकारों की कलम शक्ति की जो समाज के बदलाव के लिए जिम्मेदार होती हैं उस विषय पर कुछ चर्चा करते हैं.

हाल ही में दादरीकांड के विरोध मे तक़रीबन 21 साहित्यकारों ने अपने अवोर्ड भारत सरकार को लौटा दिये हैं ये कहो की भारत सरकार का खुल्ला विरोध किया है.

क्या डेढ दो लाख रूपए का पुरस्कार लौटाने से साहित्यकारों की जिम्मेवारी पूरी हो जाती हें...?

क्या पुरस्कार लौटाने वाली घटना सिर्फ एक तरफी सोच और अपनी कलम शक्ति की फर्ज का अपमान नहीं हैं...?

दोस्तों, एक वो दिन थे की जिनकी कवितायें और साहित्य पर भारत की युवाशक्ति मरती थी और वो साहित्य भी सत्य, देशप्रेम, नैतिकता, मानवता, भाईचारा, शांति-प्रेम जैसे उच्च मानवीय मूल्यों पर आधारित था.

और ये दंभी साहित्यकार जिन्होंने पुरष्कार लौटाये हैं उनकी रचना और लिखा पट्टी को कौनसा आम आदमी पढता हैं...?

टॉलस्टॉय और बर्नार्ड शो की कोपिया करके जिन्दा रहनेवाले ये दंभी साहित्यकारों से मेरा सवाल हैं की जब तस्लीमा नसरीन पर आफत तूट पड़ी तब कहा थे आप लोग...?

क्या 96 करोड़ हिंदू और पाकिस्तान से भी ज्यादा मुस्लिम वाले इस देश मे ऐसी छोटी-मोटी घटनाये नहीं घट सकती...?

विश्व की प्राचीनतम भारतीय संस्कृति की आस्था को विश्व के सामने मजाक बनाया जा रहा हे तब कहां गये ये साहित्यकार...?

आप कौन से समाज की रचना करना चाहते हो ? यदि भारतीय जनमानस में परिवर्तन आया हैं तो भारतीय साहित्यकारों कि जिम्मेवारी नहीं बनती हैं...?

दोस्तों, सच्चे और निडर साहित्यकारो की कलम का जिन्दा रहना मानव समाज के लिए बहोत जरुरी हैं. आज पुरे विश्व की शांति-अमन खतरे मैं हे और आतंकवाद मानवसमाज का दुश्मन बन के अपनी घिनोनी हरकते दिखा रहा हैं तब साहित्यकारों की कलम शक्ति का प्रभाव जरुरी हैं की वो कलम क्षीण ना होके मानवीय महामुल्यो के लिये जाती, धर्म, देश से ऊपर उठके समग्र विश्व एवम प्रकृति के कल्याण हेतु मानवजात को प्रेरित करे...

ना की लोकतांत्रिक देश के अकादमी का अवोर्ड लौटाके, लोकतंत्र का अपमान और अवमानना करे...!!!

शक्ति की भक्ति करे भारत...

आप सबका निलेश राजगोर

दिनांक : 17/10/2015


Friday 16 October 2015

" शक्ति की भक्ति करे भारत "

भारत की मूल आस्था : (1) गौ (2) गंगा (3) गीता

अपने ही देश में अपनी मूल आस्था का आदर क्यों नहीं...?

મિત્રો, આજે શક્તિ આરધના પર્વ નવરાત્રી નો ચોથો દિવસ છે અને આજે આપણે ભારત ની મૂળ આસ્થા એવું કહીએ કે મૂળ શક્તિ ગાય, ગંગા અને  ગીતા પર થોડું ચિંતન કરી રાષ્ટ્રની અસ્મિતા ને સાચવવા સાચો પ્રયાસ કરીએ...

મારી દ્રષ્ટિએ વિશ્વ માં એક માત્ર આ હિંદુ પ્રજા જ કમનસીબ છે કે જેને પોતાના જ  દેશમાં પોતાની આસ્થા નો અનાદર સહન કરવો પડે છે.

(1) ગાય : ગાય એ હિંદુ સંસ્કૃતિ ની આસ્થા નું કેન્દ્ર છે કે જેમાં 33 કરોડ દેવી દેવતાઓ નો વાસ માનવામાં આવ્યો છે. ગાયને માત્ર પ્રાણી તરીકે ન માનતા હિન્દુઓએ માતા માની ગાય ને બચાવવા પોતાના બલિદાનો આપી તેની રક્ષા કરી છે.

પરંતુ ખુબજ દુઃખ ની વાત છે કે ભારત ની મુખ્ય પ્રજા ની આસ્થા નું કેન્દ્ર ગાય માતાની  સમગ્ર દેશ માં કત્લેઆમ થઈ રહી છે અને તેને બચાવવા ના બદલે દંભી રાજનેતાઓ રાજનીતિ રમી રહ્યા છે.

હદ તો ત્યારે થઇ જાય છે કે કોઈ હિંદુ નેતા ગાય માતા ના બચાવમાં ખુલી ને બોલી પણ શકતો નથી અને બે પૈસા ના આલી મવાલી અધકચરું ભણી બની બેઠેલા રાજનેતાઓ જે લોકશાહી અને ભારતીય બુદ્ધિજીવીઓ માટે કલંક છે તેઓ તૃષ્ટિકરણ ની રાજનીતિ કરવા બેફામ બકવાસ કરી રહ્યા છે.

હજારો વર્ષ જૂની આ ગાયમાતા ની આસ્થા ને જીવંત રાખવા ભારત શક્તિ ની સાચી ભક્તિ કરશે ...?

(2) ગંગા : ભારતીય સંસ્કૃતિ માં નદી ને માતા માનવામાં આવી છે અને ગંગા નદી એ કરોડો હિંદુઓ માટે પવિત્ર અને જીવાદોરી સમાન છે.

શું આ પવિત્ર ગંગાનદી ને આપણે પવિત્ર રાખી શક્યા છીએ ખરા...?
દેશભર ની ગંદકી, હજારો ફેકટરીઓ નો રાસાયણિક કચરો અને ગટરો દ્વારા ગંગાને આપણે અતિ પ્રદુષિત કરી દીધી છે.
પર્યાવરણનું સરેઆમ ઉલ્લંઘન કરી ગંગાના અસ્તિત્વના પણ સવાલો આપણે  ઉભા કરી દીધા છે.

નદીથી માત્ર મનુષ્ય જ નહિ પરંતુ પશુ,પક્ષી,વનસ્પતિ,જંગલો વગેરે નું અસ્તિત્વ ટકી રહ્યું છે ત્યારે પ્રકૃતિ જતન માટે પણ આપણે ગંગામૈયા ની પવિત્રતા ને જાળવવી જોઈએ...

(3) ગીતા : શ્રીમદ ભગવદ ગીતા એ હિંદુ ધર્મનો માત્ર પવિત્ર ધર્મગ્રંથ જ નહિ પરંતુ જીવન જીવવા ની સાચી  દિશા અને સાચું દર્શન છે. વિશ્વના અનેક ચિંતકો આ પવિત્ર ધર્મગ્રંથ થી પ્રેરાઈ પ્રભાવિત છે ત્યારે શું હિંદુ પ્રજાએ તેને  અદાલતો માં સોગંધ ખાવા પુરતું સીમિત કરી નથી નાખ્યું ? શું સમગ્ર હિંદુ પ્રજા એ ગીતાને પોતાના જીવન માં આત્મસાત કરે છે ખરા ?

જે ધર્મગ્રંથ માત્ર ભારત જ નહિ પરંતુ વિશ્વ ને જીવનનું સચોટ માર્ગદર્શન અને સાચી દિશા પૂરી પાડે છે તેને પોતાના જ દેશમાં દંભી બિનસાંપ્રદાયિકતા ના નામે અવગણવો તે કેટલા અંશે યોગ્ય છે....?

મિત્રો, વિશ્વની પ્રાચિનતમ સંસ્કૃતિ નું ગૌરવ લેતા ભારતીયો એ પોતાની મૂળ આસ્થા ગાય, ગંગા અને ગીતા ને આત્મસાત કરવી જોઈએ અને પોતાની અસ્મિતા અને સ્વાભિમાનની જાળવણી કરવી જોઈએ....
શક્તિ ની સાચી ભક્તિ કરે ભારત....
આપ સૌનો નીલેશ રાજગોર
તારીખ : 16/10/2015

Thursday 15 October 2015

" શક્તિ કી ભક્તિ કરે ભારત "
નવ શક્તિ : (1) જ્ઞાન શક્તિ, (2) ધ્યાન શક્તિ, (૩) વિજ્ઞાન શક્તિ, (4) ધૈર્ય શક્તિ, (5) શૌર્ય શક્તિ, (6) આત્મ શક્તિ, (7) તર્ક શક્તિ, (8) દ્રવ્ય શક્તિ, (9) સંઘ શક્તિ
મિત્રો આજે શક્તિ આરધના પર્વ નો ત્રીજો દિવસ છે. આવો આજે આપણે ઉપરોક્ત નવ શક્તિઓ વિશેના શ્રેષ્ઠ ઉદાહરણો દ્વારા આ શક્તિઓ ને જાણીએ અને શક્તિ ની સાચી ભક્તિ કરી રાષ્ટ્ર ને સમર્પિત કરીએ....
(1) જ્ઞાન શક્તિ : જ્ઞાન શક્તિ એ આપણા જીવન માં અત્યંત ઉપયોગી શક્તિ છે અને તેનું શ્રેષ્ઠ ઉદાહરણ આપણે જોઈએ તો આચાર્ય ચાણક્ય એ જ્ઞાન શક્તિ ની સાચી ભક્તિ કરી રાષ્ટ્રોત્થાન માટે તેને સાર્થક કરી બતાવી છે.
ભારત ની પ્રજા અને તેમાં પણ હિંદુ પ્રજા બીમાર વિચારો ની શિકાર થઇ છે અને બીમાર જીવન દર્શન વિકસાવી ગુલામી તથા દરીદ્રતા ને કાયમી મિત્ર બનાવી દીધા છે ત્યારે હું આપને ચાણક્ય ની રાજનીતિ વાંચી જવા અનુરોધ કરું છુ જે પ્રજા બીમાર વિચારો માંથી મુક્ત કરી ભારત ના ઉજવળ ભવિષ્ય માટે ઘણું ઉપયોગી બનશે....
(2) ધ્યાન શક્તિ : ધ્યાન શક્તિ નું શ્રેષ્ઠ ઉદાહરણ યુવાનોના આદર્શ સ્વામી વિવેકાનંદ છે કે જેમણે હિન્દુત્વ નો ડંકો સમગ્ર વિશ્વ માં વગાડ્યો અને માણસ પોતાની અંદર રહેલી સુષુપ્ત શક્તિઓ ને ધ્યાન દ્વારા જાગ્રત કરે તો પરમાત્માને પામી શકે છે અને અનેકવિધ શક્તિઓ દ્વારા માનવ જગત અને વિશ્વ કલ્યાણ માટે સમર્પિત થઇ કાર્યો કરી શકે છે....
(3) વિજ્ઞાન શક્તિ : વિજ્ઞાન શક્તિએ માનવ જગત માં ખુબજ મહત્વની છે અને વિજ્ઞાન શક્તિનું શ્રેષ્ઠ ઉદાહરણ આપણે મહર્ષિ આર્યભટ્ટ નું આપીશું તો તે યોગ્ય ગણાશે કારણ કે સમગ્ર વિશ્વ જે ઇન્ફોર્મેશન ટેકનોલજી ઉપર આગળ વધ્યું છે તે તેનો મૂળ આધાર "શૂન્ય" (0) છે જેની શોધ વિશ્વ ને મહર્ષિ આર્યભટ્ટે આપી છે જેના લીધે તમે અને હું આ મોબાઈલ, લેપટોપ અને અવનવી વિજ્ઞાન ની શોધો કરી માનવ જીવનને ઉપયોગી સુખાકરી કરી શક્યા છીએ.
વિજ્ઞાન ની ઉપેક્ષા ભારતને ભારે પડી છે અને યુરોપ અને અમેરિકા વિજ્ઞાન દ્વારા સમગ્ર વિશ્વ ઉપર રાજ કરી રહ્યા છે.
આજે ભારત રત્ન અને મહાન વૈજ્ઞાનિક ડો. એ.પી.જે. અબ્દુલ કલામ ની જન્મ જયંતી છે ત્યારે હું ભારત ની યુવા પેઢી ને હાકલ કરું છુ કે વિજ્ઞાનના ઉપાસક બની અને રાષ્ટ્ર ને સમર્પિત થાય....
(4) ધૈર્ય શક્તિ : જીવન એ સંઘર્ષ અને અવનવી મુશ્કેલીઓ નો પર્યાય છે ત્યારે ધૈર્ય શક્તિ જીવન માં ખુબજ ઉપયોગી છે. સામાન્ય સૈનિક ના દીકરા તરીકે ઉછરી જેમણે ધૈર્ય પૂર્વક ભયંકર મુશ્કેલીઓ વેઠી હિંદુત્વ ને મોગલ આક્રમણ થી બચાવી હિંદુ પાદ્શાહી અને એક આદર્શ હિંદુ સામ્રાજ્ય ની સ્થાપના કરી તેવા છત્રપતિ શિવાજી નું ઉદાહરણ આપવું અહિયાં શ્રેષ્ઠ ગણાશે.
ધૈર્ય શક્તિથી જીવન માં ઘણુંબધું કરી શકાય છે....
(5) શૌર્ય શક્તિ : શૌર્ય અને સ્વાભિમાનનું પ્રતિક એટલે મહારાણા પ્રતાપ
મિત્રો, શૌર્ય વિનાનો ઈતિહાસ શક્ય નથી અને શૌર્ય ને ભૂલી જે લોકો માત્ર ભોગ વિલાસ માં રાચે  છે તેમને ગુલામી ભોગવવી પડતી હોય છે.
સમગ્ર ભારત જયારે મોગલ આક્રમણખોરો નો ભોગ બન્યું અને અકબર ને પોતાની બેન-દીકરીઓ પરણાવી પોતાના રજવાડા સલામત રાખતું હતું ત્યારે મેવાડ ના આ વીર સપુત મહારાણા પ્રતાપે અકબરના શરણે ન થઇ શૌર્ય અને સ્વાભિમાનનો ઈતિહાસ રચી  હિન્દુત્વ ને ગૌરવ અપાવ્યુ છે.    
ભારતની યુવા પેઢી આ શૌર્ય અને સ્વાભિમાનના પ્રતિક શુરવીર  મહારાણા પ્રતાપને આદર્શ બનવે....
(6) આત્મ શક્તિ : મુઠ્ઠી હાડકાનો માનવી પોતાના આત્મબળ થી શું નથી કરી શકતો તેનું શ્રેષ્ઠ ઉદાહરણ મહાત્મા ગાંધી છે .
સત્ય,અહિંસા,સાદગી અને સંકલ્પ દ્વારા તેમણે ભારતને તો અંગ્રેજો માંથી આઝાદી અપાવી પરંતુ સમગ્ર માનવ જગત ને "આત્મશક્તિ" ની કેટલી અગાધ  શક્તિઓ છે તે બતાવ્યું છે.
આત્મશક્તિ ને ઓળખી ભારતની યુવા પેઢી વિશ્વને પોતાની અંદર પડેલી શક્તિઓ નો પરચો કરાવે....
(7) તર્ક શક્તિ : મિત્રો, તર્ક શક્તિ એ જીવન માં ખુબજ જરૂરી છે. તર્ક શક્તિ નાં હોય તો સાચા-ખોટા નો ભેદ, જ્ઞાન-વિજ્ઞાન વગેરે હોઈજ નાં શકે.
ઓશો રજનીશ એ તર્કશક્તિ નું  શ્રેષ્ઠ ઉદાહરણ છે કે જેમણે સમગ્ર વિશ્વ ને પોતાના વિચારો થી ગાંડા કર્યા હતા અને વિશ્વ ના અનેક દેશોના બુદ્ધિજીવીઓ ને પોતાના મય બનાવ્યા હતા.
પરંતુ અહી  ઉલ્લેખનીય છે કે તર્ક શક્તિ નો ઉપયોગ માનવીય નૈતિકતા ના ઉચ્ચ મુલ્યો ની જાળવણી અને વિશ્વ કલ્યાણ માટે થાય તે ખુબ જરૂરી છે.
(8) દ્રવ્ય શક્તિ (ધન શક્તિ) : મિત્રો દ્રવ્ય શક્તિ એ આધુનિક જગત ની મુખ્ય શક્તિ છે અને તેના વગર માનવજીવન ભૌતિક સુખોથી વંછિત રહેતું હોવાથી સમગ્ર આધુનિક જગત પ્રભાવિત છે.
પરંતુ દ્રવ્ય શક્તિનો સાચો ઉપયોગ પોતાના રાષ્ટ્ર સ્વાભિમાન માટે થાય તો તે શ્રેષ્ઠ ઉદાહરણ છે અને જે મેવાડના દાનવીર વીર ભામાશાહ ને ફાળે જાય છે.
વીર ભામાશાહ એ ભારત ની યુવા પેઢી માટે પ્રેરણાત્મક ઉદાહરણ છે કે દ્રવ્ય શક્તિ સંચિત કરવી જ જોઈએ પરંતુ સમય આવે માતૃભૂમિના સ્વાભિમાન અને માનવ કલ્યાણ માટે વપરાય તો તે ધન્ય છે....
(9) સંઘ શક્તિ : " સંઘ શક્તિ કલયુગે " કહેવત ને સાર્થક કરતુ કોઈ શ્રેષ્ઠ ઉદાહરણ હોય તો તે ભારતભૂમિ અને હિન્દુત્વ ની જાળવણી માટે " રાષ્ટ્રીય સ્વયં સેવક સંઘ " ની સ્થાપના કરી વિશ્વનું સૌથી મોટું સંગઠન ઉભું કરી બતાવ્યું તેવા પૂજ્ય ડો.કેશવ બલીરામ હેડગેવારજી ને જાય છે.
કારણ કે હિન્દુત્વ અને ભારતીય સંસ્કૃતિ એ વિશ્વ માટે ઉચ્ચ સંસ્કૃતિ નું શ્રેષ્ઠ ઉદાહરણ છે અને તેની નીતિ-રીતિઓ, વસુધૈવ કુટુમ્બકમ ની ભાવના અને સમગ્ર વિશ્વ કલ્યાણ માટે તેના ઉચ્ચ નૈતિક મુલ્યો જળવાય તે માટે આર.એસ.એસ. સરાહનીય કાર્ય કરી રહ્યું છે.
આવો આપણે સૌ પણ રાષ્ટ્ર માટે સંઘ શક્તિ નો ઉપયોગ કરી એક બની નેક બની રાષ્ટ્ર સમર્પિત થઈએ....

મિત્રો,  મારી ભારતની યુવા પેઢી ને બે કર જોડી વિનંતી છે કે ઉપરોક્ત નવ શક્તિઓ ની સાધના કરી કુટુંબ, સમાજ, દેશ અને વિશ્વ માટે પોતાના જીવનને સાર્થક કરીએ....
-આપ સૌનો નીલેશ રાજગોર

તારીખ : 15/10/2015       

Wednesday 14 October 2015

" शक्ति की भक्ति करे भारत "
जब-जब पृथ्वी पर असुरो का आतंक बढ़ता है तब-तब किसी न किसी स्वरुप में दैत्य संहारने के कारण शक्ति को अपना रौद्र रूप धारण करना पड़ता हैं, वो चाहे देवासुर संग्राम हो की इस्लामिक आतंकवाद...
दोस्तों,
आज शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्री का दूसरा दिन हैं और शक्ति की सही भक्ति किसे कहते हैं वो में रशियाके ओर से सीरियामें अपना लश्कर उतार कर ISIS आतंकवादियो पर की गई लश्करी कार्यवाही का उदाहारण देकर आपको बताना चाहता हु |

दोस्तों, जैसा की हम सब जानते हैं की पिछले कई महीनो से सीरिया आतंकवादी संगठनो का अड्डा बन चूका हैं और ISIS(Islamic State of Iraq and Syria) आतंकवादी संगठन अपनी नापाक हरकतों से दुनिया में दहशत फैला रहा हैं.
सीरिया के राष्ट्रपति बशर-अल-असद अमरिका को पसंद न होने के कारण अपने आपको विश्व का ठेकेदार माननेवाले अमरिका भी सीरिया के राष्ट्रपति के विरुध्ध इन आतंकवादिओ को पिछले रास्ते मदद कर रहा हैं.
आतंकवादी आखिर तो आतंकवादी होते हैं, अपने तरफी और अपने विरोधी आतंकवादी, ऐसे दो भाग कैसे कर सकते हैं...?
अमरिका और नाटो के देशोने सीरिया को मदद तो नहीं की बल्कि सीरिया ने जब रशिया  से मदद मांगी तो रशिया  की मदद इनको पसंद नहीं हैं. अमरिका और नाटो के देशो के विरोध के बावजूद रशियाने अपना हवाई लश्कर सीरिया में उतार दिया और ISIS आतंकवादी संगठनो पर हमले कर दिए.
हिम्मत की हद तो तब हो गई जब रशिया ने पेसिफिक महासागर से 2700 किलोमीटर दूर ISIS के आतंकवादी ठिकानो पर 26 मिसाइले मार कर 55 ठिकाने तहस-नहस कर दिए. ISISI की और आतंकवादी संगठनो की एक गुप्त बैठक मिलने वाली थी तो रशिया ने उस गुप्त बैठक पर ही हमला कर दिया और जिनमे कई अहम् आतंकवादी मुखिया मारे गए.
विश्व की 8 महाशक्तियां रशिया के विरोध में हैं और आर्थिकता में वो तूट चूका हैं फिर भी उसकी लश्करी हिम्मत कम नहीं हुई. युक्रेन मैं भी उसने NATO लश्कर के विरोध अपना लश्कर उतार दिया और युक्रेन का क्रीमिया राज्य जो अलग होना चाहता था जिसमे 99% लोगो ने रशिया तरफी वोटिंग किया तो NATO के देशोने नहीं माना, तो रशिया ने उनकी परवाह न करते हुए क्रीमिया को लश्करी कार्यवाही करके ले लिया.  
दोस्तों, जब इस्लामिक स्टेट्स (ISIS) भारत में भी घुसकर अपनी जाल बिछा रहा हैं ये कहो की युवाओ की भरती कर रहा हैं तब रशिया ने ISIS पर हमला कर के हमारे लिए एक अवतार का काम किया हैं.

जेसा की हम सब जानते हैं की हमारा देश भारत आतंकवाद को झेल रहा हैं. पाकिस्तान,नेपाल,चीन,बांग्लादेश और श्रीलंका तक सभी पडोशी देश भारत को घुर रहे हैं और 127 करोड लोगो का देश और विश्व की दुशरे नंबर की लश्करी ताकत वाला अपना ये देश भारत आज़ाद हुआ तबसे भारतीय प्रदेश गंवाता रहा हैं....
निर्दोष नागरिक आतंकवादियो के हाथो मारें जाते हैं और हम श्रद्धांजली के सिवा कुछ नहीं कर पाते हैं.... आखिर कब तक ये सब चलता रहेगा....?
आखिर कौन सी शक्ति की हम भक्ति कर रहे हैं.....?
दोस्तों, NATO और अमरिका के विरोध के बावजूद रशिया ने ISIS आतंकवादी संगठनो पर हमला कर दिया और सीरिया में अपना लश्कर उतारकर आतंकवाद के सामने बड़ी हिम्मत के साथ हमले कर रहा हें....  
और आतंकवादीओ से जूझ रहा भारत अपने पडोसी देश पाकिस्तान की पल्ली और जाकर आतंकी छावनिओ को तहस-नहस भी नहीं कर सकता...?    
 शक्ति की भक्ति करे भारत....
- आप सबका निलेश राजगोर
Date : 14/10/2015