Thursday, 25 September 2014

प्रिय दोस्तों,
आज से “शक्ति की भक्ति” का नवरात्री पर्व शुरू हो चूका हैं |
मंगलयान अपने लक्ष्य को प्राप्त हो चूका है |
महर्षि आर्यभट्ट, महर्षि भास्कराचार्य और पंडित वराहमिहिर जैसे इसा पूर्व के महा-वैज्ञानिकोने क्रममान, यानि की “Speed of light Year” को मनुष्य जात की और से स्थापित किया था | भास्कराचार्यने जियोमिति गणित से पृथ्वी गोल है एसा प्रमाणित किया था | Galaxy यानि आकाशगंगाओ का अध्यन और Milky Way यानि की दुध गंगा में हमारा सूर्य-मंडल गतिशील है ऐसा पंडित वराहमिहिर ने अपने ग्रंथ में लिखा हैं |
फिर भी दोस्तों, इस देश का दुर्भाग्य रहा की अर्वाचीन जगत के प्रथम भौतिकशास्त्री का दरज्जा रोम के क्रिश्चियन चर्च के पॉप ज्योतिषी “टेलोमी” को मिला | ये टेलोमी का क्वालिफिकेशन क्या था? और उसका भौतिकशास्त्रीय ज्ञान क्या था? - दोस्तों ये टेलोमी ने कहा था की पूरा ब्रम्हांड पृथ्वी के आसपास चक्राता हैं और सारे ब्रम्हांड का केंद्र पृथ्वी है, इतनी बड़ी अज्ञानता के बावजूद उसको नये जगत के वैज्ञानिको की यादि में प्रथम स्थान दिया गया जबकि भौतिक-विज्ञान के इतिहास में आर्यभट्ट का उल्लेख तक नहीं !!!
एसा क्यों हुआ? क्योंकि हम शक्ति के उपासक न रहते हुए सिर्फ आभासी शक्ति पूजा ले आए | इसा पूर्व के कई सालो पहले जो भारत ब्रम्हांड का ज्ञान रखता था वही भारत NASA को नमस्कार क्यों करता हैं? क्योंकि भारत का जन-समूह शक्ति की उपासना को भुला हैं, शक्ति की साधना को भुला हैं. मंगलयान का सफल प्रयोग और ISRO की सफल उपलब्द्धि आर्यभट्ट का पुनःजन्म है | आइए इस शुभ नवरात्री में संकल्प करे और पुनः शक्तिवर्धक भारत का निर्माण करे |
वैज्ञानिक सिद्धियाँ ही सच्ची शक्ति की उपासना है और इस उपासना को यदि परम सिद्धि की और हम ले चलेंगे तो जरुर एक दिन विज्ञान का सूरज पूरब से निकलेगा |
शक्ति ही महान है, जिसके पास शक्ति हैं वही वसुंधरा का सच्चा शासक होता है |
जय भवानी !
- आप सबका निलेश राजगोर 
प्रदेश कन्वीनर:प्रशिक्षण सेल, भारतीय जनता युवा मोर्चा गुजरात

No comments:

Post a Comment